Dainik Jagran 2014-06-18

इस्लाम बनाम इस्लाम

दुनियाभर में चल रही हिंसक घटनाएं क्या मध्यकालीन बर्बर युग की दस्तक हैं? इराक की ‘इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड लेवैंट’ (आइएसआइएल) नामक सुन्नी आतंकी संगठन के आतंकियों के द्वारा 1700 इराकी जवानों को मौत के घाट उतारना, केन्या के पेकटोनी शहर में सोमाली आतंकियों द्वारा 48 लोगों की बर्बर हत्या, अफगानिस्तान में वोट देने की सजा के तौर पर तालिबानियों द्वारा 11 अफगानी नागरिकों की उंगलियां काटना, केन्या में अल षबाब द्वारा 48 लोगों की हत्या, पड़ोसी मुल्क बंगलादेष में बांग्लाभाषियों और उर्दू भाषियों के बीच हिंसा में 10 से अधिक की मौत, पाकिस्तान के कराची एअरपोर्ट पर हुआ आतंकी हमला और नाइजेरिया में बोको हरम के द्वारा 200 से अधिक छात्राओं का अपहरण, क्या रेखांकित करता है? इन आतंकी हमलों में मरने वाले अधिकांश किस मजहब के हैं? क्या यह सत्य नहीं कि मजहब के नाम पर हिंसा करने वाले और उस हिंसा के बदकिस्मत शिकार एक ही मजहब- इस्लाम के हैं?
Dainik Jagran 2014-06-04

शुद्ध हो जगत्तारिणी गंगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में अपने सार्वजनिक जीवन का शुभारंभ गंगा आरती से किया। संभवतः वे देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के लिए सौ दिन का जो एजेंडा तैयार किया है, उस पर अमल करते हुए जल संसाधन और पर्यटन मंत्रालय ने गंगा नदी की स्वच्छता और उसके घाटों का पुनरुद्धार कार्य प्रमुखता से लिया है। गंगा हमारी सांस्कृतिक विविधता के बीच एकता की गवाह है। हिमालय को ‘वाटर टावर ऑफ एशिया’ कहा जाता है, जहां गंगोत्री ग्लेशियर में गौमुख से निकलने वाली गंगा का आगे चलकर सहयोगी नदियों- मंदाकिनी, अलकनंदा, पिंडर, धौली, काली, गौरी गंगा और यमुना समेत सैकड़ों छोटी-बड़ी जल धाराओं से मिलन होता है। हिमालय में अपने उद्गम से निकल कर गंगा बंगाल की खाड़ी में गंगासागर में जाकर गिरती हैं। नाना प्रदेशों व भिन्न वर्ण-मतों के बीच से गुजरती हुई गंगा सर्वत्र उसी सम्मान से देखी जाती है। किंतु जगतारिणी गंगा आज विकास की अंधगति को भोगने के लिए अभिषप्त है।
Dainik Jagran 2014-05-28

शहीद राष्ट्रवीरों को नमन

विगत बुधवार को संसद के केंद्रीय कक्ष में स्वतंन्नता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के तैलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी का पूरा शीर्ष नेतृत्व, लालकृष्ण आडवाणी, नरेंद्र मोदी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, वैंकेया नायडू, अनंत कुमार सहित अन्य बहुत से मंत्री उपस्थित थे। नई सरकार ने अंडमान निकोबार जेल में उस उद्धरण पट्टिका को फिर से ससम्मान स्थापित करने का भी निर्णय लिया है, जिसे सन् 2004 में केंद्रीय सत्ता पर आने के बाद कांग्रेस के तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री मणिषंकर अय्यर ने हटवा दिया था। राजग के पिछले कार्यकाल में जब संसद के केंद्रीय कक्ष में सावरकर का तैलचित्र स्थापित किया जा रहा था, तब सोनियाजी के नेतृत्व में कांग्रेस और कम्युनिस्टों ने समारोह का बहिष्कार कर इस महान देशभक्त का निरादर किया था। उनके अनुसार सावरकर का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं है। क्या विचारधारा और कार्यशैली पृथक होने से क्रांतिकारियों के बलिदान को गौण माना जाए? क्या देशभक्त होने के लिए कांग्रेसी विचारधारा से संबद्धता जरूरी है?