क्या पाकिस्तान कभी बदल सकता है?
गत दिनों भारत और पाकिस्तान- दोनों देशों के सैन्य अभियानों के महानिदेशकों के बीच एक महत्वपूर्ण हॉटलाइन बैठक हुई। इसमें तय हुआ कि 24-25 फरवरी 2021 की मध्यरात्रि से 2003 का संघर्ष-विराम समझौता और समय-समय पर दोनों देशों के बीच हुई पुरानी संधियों को फिर से लागू किया जाएगा। यह एक बड़ी खबर थी, जिसके प्रति भारतीय मीडिया लगभग उदासीन रहा और इसे केवल एक सामान्य समाचार तक सीमित रखा। आखिर इसका कारण क्या है?
यह घटनाक्रम सच में काफी हैरान करने वाला है, क्योंकि 2016-19 के बीच पाकिस्तान प्रायोजित पठानकोट-उरी-पुलवामा आतंकी हमले और इसपर भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी आतंकवादी ठिकानों पर सफल सर्जिकल स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के संबंध गर्त में थे। 27 फरवरी 2019 में भारतीय वायुसेना विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को पाकिस्तानी सेना द्वारा पकड़े जाने पर हालात इतने गंभीर हो गए थे कि भारत-पाकिस्तान फिर से युद्ध के मुहाने पर खड़े हो गए। यही नहीं- एक आंकड़े के अनुसार, 2018 से लेकर फरवरी 2021 के बीच नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान 11 हजार से अधिक बार युद्धविराम का उल्लंघन कर चुका है, तो जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत ने भी वांछित उत्तर दिया। बकौल पाकिस्तानी सेना, भारतीय सैनिकों ने 2020 में तीन हजार से अधिक बार सीमा पर गोलीबारी की।
ऐसा क्या हुआ कि सीमा को अशांत रखने वाला पाकिस्तान अचानक शांति की बात करने लगा? वास्तव में, इसके कई कारण है।
पाकिस्तान का डीएनए ही संकट का कारण
विगत कई दिनों से पाकिस्तान विभिन्न घटनाक्रमों से गुजर रहा है। 26 अक्टबूर (सोमवार) को पाकिस्तानी संसद ने "इस्लाम विरोधी वक्तव्य" देने वाले फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। इस्लाम के नाम पर वहां मजहबी एकजुटता दिखाने का प्रयास ऐसे समय पर हो रहा है, जब पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आई.एस.आई के खिलाफ विपक्षी दलों और सिंध पुलिस ने बगावत का बिगूल फूंक दिया था।
क्या ऐसा संभव है कि विपक्षी दलों की एकता पाकिस्तान में लोकतंत्र की नई सुबह लेकर आएं और पुलिस विद्रोह के बाद वहां सेना का प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त हो जाएं?- इसका उत्तर दो तथ्यों में छिपा है। पहला- पाकिस्तान की राजनीति में मुल्ला-मौलवियों और सेना का वर्चस्व है। दूसरा- इस इस्लामी देश का वैचारिक अधिष्ठान और स्थिरता विरोधाभासी है।
यह किसी से छिपा नहीं कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान जनता द्वारा "निर्वाचित" कम, सेना द्वारा "स्थापित" अधिक है। उनके विरुद्ध वहां 11 विपक्षी दलों ने पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) नामक गठबंधन बनाया है। यह घमासान उस समय और बढ़ गया, जब नवाज शरीफ के दामाद मुहम्मद सफदर को कराची पुलिस ने 18-19 अक्टूबर की आधी रात होटल में उनके कमरे का दरवाजा तोड़कर गिरफ्तार कर लिया। उस समय वे अपनी पत्नी मरियम के साथ थे। सफदर पर जिन्नाह की मजार की पवित्रता भंग करने का आरोप था।