Punjab Kesari 2020-12-30

वर्ष 2020 के संदेश और सबक

वर्ष 2020 अपने अंतिम पड़ाव पर है। पाठकों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। यह साल कई घटनाओं का साक्षी रहा और भारत सहित शेष विश्व के लिए कई महत्वपूर्ण संदेश व सबक छोड़ गया। जहां कोविड-19 संक्रमण ने प्रकृति के सामने मनुष्य की औकात बता दी, तो वही उदारवादी लोकतांत्रिक देश, फ्रांस- ने इस्लाम के कट्टर स्वरूप से निपटने हेतु एक "प्रायोगिक योजना" दुनिया के सामने रखने का साहस किया है। बात यदि भारत की करें, तो यहां 2019 में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को मिले व्यापक जनादेश को निरस्त करने का प्रयास हो रहा है। इसका प्रमाण वर्ष 2020 के प्रारंभ में नागरिक संशोधन अधिनियम (सी.ए.ए.) विरोधी शाहीन बाग प्रदर्शन और हिंसा में दिखा, तो अब इसका दूसरा संस्करण हम किसान आंदोलन के रूप में देख रहे है। पड़ोसी देशों की बात करें, तो नेपाल आतंरिक संकट से जूझ रहा है। वहां साम्यवादी चीन का हस्तक्षेप कितना है- वह तब स्पष्ट रूप से सामने आ गया, जब नेपाली राजनीतिक समस्या का हल निकालने चीनी दूत एकाएक काठमांडू पहुंच गए। चीन का ही अन्य "सैटेलाइट स्टेट" पाकिस्तान हर वर्ष की तरह इस साल भी अपने वैचारिक चरित्र के अनुरूप भारत-हिंदू विरोधी षड़यंत्र में व्यस्त रहा। इसी साल चीन को यह भी सबक मिल गया कि एशिया में उसका सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी भारत 1962 की दब्बू पृष्ठभूमि से बाहर आ चुका है। वही अमेरिका, ट्रंप शासन से मुक्त होकर बिडेन के नेतृत्व में क्या रूख अपनाएगा, यह देखना शेष है।
Punjab Kesari 2020-12-16

"गोदी मीडिया"- कटु सत्य

भारत के सार्वजनिक विमर्श में इन दिनों "गोदी मीडिया" जुमला बहुत प्रचलित है और दुर्भाग्य से इसका अस्तित्व एक कड़वा सच भी है। चाहे "गोदी मीडिया" संज्ञा का चलन अभी शुरू हुआ हो, किंतु यह पिछले 73 वर्षों से घुन की तरह भारतीय लोकतंत्र को खा रहा है। "गोदी मीडिया" के जन्म और इसके बढ़ते प्रभाव का एक लंबा इतिहास है। पं.नेहरू का सेकुलरवाद, वामपंथी विचारधारा का अधिनायकवाद और जिहादी मानसिकता- यह तीनों अलग-अलग होते हुए भी एक बड़ी सीमा तक एक-दूसरे का पर्याय है। जब वामपंथ के सहयोग से जिहादी पाकिस्तान का जन्म हुआ, तब पं.नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने पार्टी में उन नेताओं (मुस्लिम सहित) को शामिल करके "सेकुलर" घोषित कर दिया, जो स्वतंत्रता से पहले पाकिस्तान के लिए आंदोलित थे। विडंबना देखिए कि जो कलतक इस्लामी पाकिस्तान के पैरोकार थे, वे "सेकुलर" हो गए और अखंड भारत के पक्षधर "सांप्रदायिक"। खेद है कि यह परंपरा आज भी जारी है। उसी विरोधाभास के गर्भ से एक विशेष मीडिया संस्कृति ने जन्म लिया, जिसका विचार-वित्तपोषण तथाकथित "सेकुलर" सत्ता प्रतिष्ठान की "गोदी" में हुआ। कालांतर में इसी "गोदी मीडिया" ने सच्चे राष्ट्रवादियों, प्रतिकूल विचारधारा रखने वालों और सनातन भारत पर गौरवान्वित लोगों को लांछित करने हेतु सफेद झूठ, विकृत तथ्यों और अभद्र भाषा का उपयोग धड़ल्ले से किया। वास्तव में, "गोदी मीडिया" को इसका प्रशिक्षण उन देशों में मिला था, जहां वे सरकारी खर्चें पर "स्वतंत्र पत्रकारिता" का पाठ सीखने सोवियत संघ और पूर्वी यूरोपीय देशों का दौरा करते थे।
Swadesh 2020-08-21

आमिर खान, तुर्की विवाद और बॉलीवुड

विगत कई दिनों से इस्लामी देश तुर्की वैश्विक सुर्खियों का हिस्सा बना हुआ है। मामला चाहे हागिया सोफिया, जो सदियों पहले चर्च हुआ करता था- उसे मस्जिद में परिवर्तित करने का हो या फिर तुर्की का हाल के समय में भारत विरोधी गतिविधियों के केंद्र के रूप में उभरना हो। इसी बीच, फिल्म अभिनेता आमिर खान अपनी आगामी फिल्म "लाल सिंह चड्ढा" की शूटिंग के सिलसिले में तुर्की पहुंचते है और वहां राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन की पत्नी एमीन एर्दोगन से भेंट करते है। इस पृष्ठभूमि में भारतीय समाज का बड़ा वर्ग, जो देश की संप्रभुता और सुरक्षा को लेकर चिंतित रहता है- उनमें स्वाभाविक रूप से आमिर की इस भेंट के प्रति रोष है। आमिर खान का विवादों से संबंध नया नहीं है। वर्ष 2015 में दिल्ली के निकट दादरी में गोकशी के कारण भीड़ द्वारा अखलाक की निंदनीय हत्या का मामला सामने आया था। तब आमिर ने एक कार्यक्रम में कहा था, "पिछले 6-8 महीने से देश में असुरक्षा की भावना बढ़ने लगी है। मेरी पत्नी देश से बाहर जाने को कहती है, क्योंकि उसे बच्चों के लिए डर लग रहा है।" आमिर के इस वक्तव्य से पाकिस्तान सहित अन्य शत्रु शक्तियों को अपने भारत विरोधी एजेंडे को धार देने में खूब मदद मिली।





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